काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी । प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव…॥ कार्तिक श्याम और गणराऊ । या छवि को कहि जात न काऊ ॥ देवन जबहीं जाय पुकारा । तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥ लाय सजीवन लखन जियाये। श्री रघुबीर हरषि उर लाये।। https://shiv-chalisa79774.eveowiki.com/947805/5_essential_elements_for_shiv_chalisa_lyrics_in_gujarati_pdf