काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी । नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥ स्तवं यः प्रभाते नरः शूलपाणे पठेत् सर्वदा भर्गभावानुरक्तः । Your browser isn’t supported anymore. Update it to have the best YouTube encounter and our latest capabilities. Learn more एक कमल प्रभु राखेउ जोई। https://shiv-chalisa-lyrics-in-gu44813.fliplife-wiki.com/3528820/the_greatest_guide_to_shiv_chalisa_lyrics_in_marathi